आयुष्मान योजना: संकट में पड़ सकता है मरीजों का इलाज

आयुष्मान योजना के तहत करीब 40 हजार क्लेम अटके
प्रदेशभर के अस्पतालों का करीब 75 करोड़ रुपये बकाया

देहरादून: उत्तराखंड में आयुष्मान योजना के तहत करीब 40 हजार क्लेम अटक गए हैं। जिस कारण प्रदेशभर के अस्पतालों का करीब 75 करोड़ रुपये का भुगतान लंबित है। कई अस्पतालों का भुगतान तो तीन माह से नहीं हुआ है। इससे निजी अस्पताल संचालकों की मुश्किलें बढ़ने लगी हैं। जल्द भुगतान न होने पर मरीजों के इलाज पर संकट आ सकता है।

बता दें, प्रदेश सरकार ने अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना को लागू कर उत्तराखंड के हर परिवार को प्रतिवर्ष पांच लाख तक के स्वास्थ्य बीमा के दायरे में लिया है। इस योजना के तहत राज्य में करीब 56.14 लाख लोगों के आयुष्मान कार्ड बन चुके हैैं। योजना के तहत 278 अस्पताल सूचीबद्ध हैं। आयुष्मान कार्डधारक के अस्पताल में भर्ती होने पर उसका उपचार पूर्णत: निश्शुल्क किया जाता है। यही नहीं, मरीज को डिस्चार्ज होने पर 15 दिन की दवाएं भी मुफ्त देने की व्यवस्था है। पर निश्शुल्क उपचार की इस सुविधा पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। जिसका कारण है अस्पतालों को होने वाले भुगतान में देरी। अभी तक की व्यवस्था के तहत राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण 10-15 दिन में क्लेम का भुगतान कर देता था, पर यह व्यवस्था पटरी से उतर गई है। प्रदेशभर के अस्पतालों का भुगतान करीब तीन माह से अटका हुआ है। भुगतान न होने के कारण अस्पतालों के संचालन में दिक्कत आने लगी है। इस स्थिति में मरीजों का इलाज कभी भी रुक सकता है। राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के अधिकारी इस समस्या की वजह पोर्टल की तकनीकी दिक्कत बता रहे हैं।

पोर्टल अपग्रेड होने के बाद से ही दिक्कत
हाल ही में आयुष्मान का ट्रीटमेंट मैनेजमेंट सिस्टम (टीएमएस) पोर्टल अपग्रेड किया गया है। बीती 21 फरवरी से उत्तराखंड समेत चार राज्यों में टीएमएस-2.0 लागू किया गया था। पर नए पोर्टल में कई स्तर पर दिक्कत आ रही है। जिस कारण प्री-आथराइजेशन से लेकर क्लेम के भुगतान तक में दिक्कत आ रही है। बताया गया कि 21 फरवरी के बाद दाखिल तमाम क्लेम पोर्टल की दिक्कत के कारण अटके हुए हैं।

 

बीते फरवरी माह में टीएमएस पोर्टल अपग्रेड हुआ था। जिसमें तकनीकी दिक्कत आ रही है। इसी वजह से क्लेम भुगतान में भी दिक्कत आ रीह है। इस विषय में राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण से लगातार बात चल रही है। अस्पताल संचालक आश्वस्त रहें। बजट की कोई कमी नहीं है। तकनीकी दिक्कत दूर होते ही तुरंत भुगतान कर दिया जाएगा।
डा. वीएस टोलिया निदेशक-क्लेम मैनेजमेंट राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण