उत्तराखंड में चर्चित करीब 200 करोड़ की ठगी की आरोपी कंपनी लोनी अरबन मल्टी स्टेट क्रेडिट एंड थ्रिफ्ट को-ऑपरेटिव सोसाइटी (एलयूसीसी) के फरार मुख्य आरोपियों पर शिकंजा कसते हुए शासन ने उनके पासपोर्ट रद्द कराने का फैसला लिया है। मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने गृह विभाग को निर्देश दिए कि इस संबंध में विदेश मंत्रालय से तत्काल पत्राचार किया जाए ताकि आरोपियों को देश से बाहर जाने से रोका जा सके। जानकारी के अनुसार सरकार के पास घोटाले के मुख्य आरोपी के दुबई में छुपे होने की सूचना है। कंपनी ने यूपी, दिल्ली, मध्यप्रदेश में भी लोगों से ठगी की है, इसलिए यह अंतरराज्यीय स्तर का मामला हो गया है। इसे देखते हुए प्रदेश सरकार अब इस घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपने का भी अनुरोध करने जा रही है। मुख्य सचिव ने गृह विभाग को इस संबंध में केंद्र सरकार को अनुरोध पत्र भेजने के निर्देश दे दिए हैं। मुख्य सचिव के अनुसार इस वित्तीय धांधली में कार्रवाई जारी है। दो दिन पहले आरबीआई की समन्वय समिति की बैठक में भी इस विषय पर चर्चा हो चुकी है। एयूसीसी संचालकों ने चिटफंड निवेश के नाम पर राज्यभर के लोगों को आकर्षक मुनाफे का झांसा देकर करोड़ों की ठगी की। गृह विभाग के पास हालांकि 75 से 80 करोड़ की ठगी का ब्योरा है, लेकिन माना जा रहा है कि कंपनी ने राज्य के लोगों को करीब 200 करोड़ रुपये की चपत लगाई है। उत्तराखंड में 35 से अधिक स्थानों पर अपनी शाखाएं चलाईं। सबसे पहला मामला कोटद्वार का सामने आया। मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने राज्य में फाइनेंस कंपनी व किट्टी चलाने वालों पर शिकंजा कसने के संकेत दिए हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी सभी संस्थाओं का संचालन अनियंत्रित जमा योजना प्रतिबंध अधिनियम के तहत पंजीकृत होना अनिवार्य है। सभी बैंकों को इसके लिए एक-एक नोडल अधिकारी नियुक्त करने के निर्देश दिए गए। सीएस ने प्रदेश के लोगों को यह सलाह है कि वे उनके धन को कई गुना करने और शेयर बाजार में अधिक मुनाफा दिलाने से जैसे लालच से बचें। वित्तीय धोखाधड़ी और साइबर वित्तीय अपराध रोकने के लिए आर्थिक अपराध इकाई को और मजबूत बनाने के निर्देश दिए गए हैं। साइबर अपराध समन्वय केंद्र में बैंकर्स प्रतिनिधि की तैनाती की जाएगी। मुख्य सचिव ने कहा कि भविष्य में किसी भी तरह की ठगी से बचने के लिए लोगों को जागरूक होना होगा। पैसा लगाने से पहले लोग आरबीआई और सेबी की वेबसाइट पर उन फाइनेंस कंपनियों और किट्टी संचालकों की सूची देख लें, जो प्रतिबंधित हैं या रजिस्टर्ड है। इससे वे ठगी का शिकार होने से बच सकेंगे।
