प्रदेश में मंत्रियों और अफसरों को महंगी गाड़ियां खरीदने की छूट से संबंधित परिवहन विभाग के प्रस्ताव को वित्त विभाग ने फिलहाल मंजूरी देने से इनकार कर दिया। वित्त विभाग ने नई पॉलिसी के औचित्य और वाहनों की मूल्य सीमा बढ़ाने के प्रस्ताव पर आपत्तियां लगाते हुए इस पर परिवहन विभाग से जवाब मांगा है। विभागीय स्तर पर संतोषजनक जवाब मिलने पर ही वित्त विभाग से मंजूरी मिलना मुमकिन हो पाएगा। उधर, परिवहन सचिव अरविंद ह्यांकी ने बताया कि वित्त विभाग की आपत्तियों का जवाब भेजा जा रहा है।
परिवहन विभाग ने हाल ही में नई वाहन खरीद पॉलिसी का प्रस्ताव तैयार कर विभाग को भेजा है। इसमें मंत्री, मुख्य सचिव, न्यायाधीश से लेकर जिला स्तर तक के अधिकारियों के लिए कैटेगरी तय करते हुए वाहनों की मूल्य सीमा तय की गई। यह मूल्य सीमा वर्ष 2016 की वाहन खरीद वाहन पॉलिसी से काफी ज्यादा है।
ये हैं महंगी गाड़ियों के प्रस्ताव
प्रस्ताव के अनुसार काबीना मंत्री, मुख्य सचिव, हाईकोर्ट के जज, एसीएस, वन विभाग के एचओएफ, डीजीपी के लिए वाहन खरीदने की 15 लाख की सीमा को बढ़ाकर 25 लाख किया गया है। जबकि प्रमुख सचिव, सचिव, कमिश्नर डीआईजी, एपीसीसीएफ और अन्य समकक्ष के लिए 12 लाख के बजाए 20 लाख रुपये के वाहन खरीद सकेंगे। इसी प्रकार सभी श्रेणियों में वाहन मूल्य बढ़ाने का प्रस्ताव दिया गया है। स्वयं का वाहन इस्तेमाल करने पर हर महीने पेट्रोल-डीजल और वाहन रखरखाव के खर्च को दोगुने से ज्यादा करने का प्रस्ताव है। वित्त विभाग ने राज्य की आर्थिक स्थिति को देखते हुए वाहन मूल्य बढ़ाने पर सवाल उठाया है।