उत्तराखंड के चर्चित देवस्थानम बोर्ड को लेकर आखिर धामी सरकार को पीछे हटना पड़ा. विधानसभा चुनाव में संभावित नुकसान से सशंकित और कांग्रेस की सत्ता में आते ही बोर्ड भंग करने की घोषणा ने सरकार को चिंता में डाल दिया था, इसी के चलते मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देवस्थानम चार धाम यात्रा प्रबंधन बोर्ड को भंग करने का ऐलान कर दिया. हालांकि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सत्ता संभालने के बाद से ही पंडा पुरोहितों के प्रति नरम रुख अख्तियार किये हुए थे. लेकिन फिलहाल बोर्ड भंग करने का निर्णय लेकर मुख्यमंत्री ने हरीश रावत के उस ऐलान की रेंज कम करने की कोशिश की है जिसमें कांग्रेस के सत्ता में आते ही बोर्ड को भंग करने की बात कही थी.
क़ाबिलेगौर है भाजपा सरकार के तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने 2019 में कानून बनाकर देवस्थानम चार धाम यात्रा प्रबंधन बोर्ड का गठन किया. लेकिन बोर्ड के अस्तित्व में आने से पहले ही राज्य में तीर्थ पुरोहित, पंडा समाज और हकहकूकधारियों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया. लेकिन सबसे बड़ी गलती यह रही कि त्रिवेंद्र सरकार लोगों से बातचीत करने के बजाय लागू करने की जिद पर अड़ी रही. फिर तीरथ सिंह रावत मुख्यमंत्री बने तो वो चाहते थे कि इस बोर्ड को भंग कर दिया जाय लेकिन उन्हें बीच में ही हटना पड़ा. इसके बाद पुष्कर सिंह धामी आये और उन्होंने पूर्व सांसद मनोहरकांत ध्यानी की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया, जिसने चार दिन पहले अपनी 89 पन्नों की रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी. चार दिन पहले मंत्रिमंडल की उप समिति का गठन किया गया जिसमें सुबोध उनियाल और यतीश्वरानंद को नामित किया. इस उप समिति ने भी बोर्ड भंग करने की सिफ़ारिश की. दोनों समितियों की रिपोर्ट के बाद आज मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बोर्ड को भंग करने का ऐलान किया.