दून में चर्चित होटल हयात रेजिड़ेंसी तक बनाई गई सड़क आई विवादों के घेरे में, ग्रामीणों ने अपनी बताई जमीन
पीडब्ल्यूडी ने बनाई सड़क, लेकिन नगर निगम ने झाड़ा पल्ला, सवाल यह जमीन किसकी, राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट की पड़ताल में खुला मामला
देहरादून: दून में जमीनों के फर्जीवाड़े से थाने-चौकियां भरी पड़ी है. कौन किसकी कहां बेच दे, बता नहीं सकते. इसी तरह आजकल राज्य सूचना आयोग की पड़ताल में आया एक मामला ऐसा ही चर्चाओं का विषय बना है. दून में कुछ समय पूर्व होटल हयात तक बनाई गई सड़क को लेकर न सिर्फ विवाद की स्थिति पैदा हो गई है, बल्कि सरकारी व्यवस्था पर गंभीर सवाल भी खड़े हो रहे हैं.
इस सड़क का निर्माण लोनिवि प्रांतीय खंड ने किया. जमीन नगर निगम की बताई गई थी, लिहाजा इसके लिए निगम के साथ एमओयू किया गया. इसकी सूचना जब नगर निगम से मांगी गई तो एमओयू निगम कार्यालय में ढूढ़े नहीं मिल रहा. दूसरी तरफ एमओयू की प्रति लोनिवि से मिल गई है, लेकिन निगम अधिकारी इसकी सत्यता पर सवाल उठा रहे हैं.
सूचना आयोग पहुंचे इस प्रकरण में राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने लोनिवि प्रांतीय खंड के पूर्व व वर्तमान अधिशासी अभियंता को अगली सुनवाई में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहने को कहा है.
निजी भूमि पर बना डाली होटल की रोड
होटल हयात तक सड़क निर्माण को लेकर एमओयू समेत विभिन्न ङ्क्षबदुओं पर ग्राम दानियों का डांडा निवासी सुल्तान ङ्क्षसह ने नगर निगम से आरटीआई के तहत सड़क निर्माण के लिए लोनिवि प्रांतीय खंड के साथ किए गए एमओयू की प्रति भी मांगी थी. क्योंकि, उनका आरोप है कि लोनिवि ने ग्रामीणों की भूमि पर सड़क निर्माण किया है. उन्होंने यह भी पूछा कि दानियों का डांडा राजपुर में खसरा नंबर 84, जिस पर सड़क का निर्माण किया जा रहा है, वह नगर निगम के स्वामित्व की है या नहीं. जवाब में नगर निगम ने किसी भी तरह के एमओयू से इंकार कर दिया.
मूल विभाग लौट गए नगर निगम के ईई भटनागर
यही सूचना जब लोनिवि प्रांतीय खंड से मांगी गई तो एमओयू की प्रति मिल गई. इस एमओयू पर नगर निगम के तत्कालीन अधिशासी अभियंता अनुपम भटनागर के हस्ताक्षर मिल गए सूचनाओं को भ्रामक बताते हुए आवेदक सुलतान ङ्क्षसह ने सूचना आयोग में अपील की. जिसकी सुनवाई के दौरान पाया गया कि निर्माण के दौरान नगर निगम में अनुपम भटनागर अधिशासी अभियंता थे, जो अब अपने मूल विभाग ग्रामीण निर्माण विभाग में अधीक्षण अभियंता पद पर सेवाएं दे रहे हैं.
अधिशासी अभियंता नहीं, आयुक्त को एमओयू का अधिकार
नगर निगम के वर्तमान अधिशासी अभियंता जय प्रकाश रतूड़ी ने बताया कि एमओयू करने का अधिकार सिर्फ नगर आयुक्त को है. इस बारे में जब आयोग ने तत्कालीन अधिशासी अभियंता अनुपम भटनागर का जवाब तलब किया तो उन्होंने कहा कि एमओयू पर हस्ताक्षर उनके ही प्रतीत होते हैं, लेकिन उन्होंने इसे कूटरचना करार दिया.
जब निगम की जमीन नहीं, तो एमओयू क्यों
नगर निगम से जवाब आया कि इस एमओयू पर मार्ग के पक्कीकरण और सुधारीकरण का जो काम किया गया है, वह भूमि (खसरा नंबर 84क और 90क) नगर निगम की नहीं है. इसके साथ ही एमओयू को निरस्त किए जाने योग्य माना गया. सवाल यह है कि जब भूमि नगर निगम की नहीं है और अधिशासी अभियंता को एमओयू का अधिकार नहीं है, तो नियमों के विरूद्ध जाकर कार्य क्यों किया गया. इसे किसको लाभ हुआ.
भटनागर की भूमिका मिली संदिग्ध
राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने कहा कि नगर निगम इस इस आख्या के आधार पर नगर निगम के तत्कालीन अधिशासी अभियंता अनुपम भटनागर की भूमिका संदिग्ध प्रतीत होती है. प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए सूचना आयोग ने लोक सूचना अधिकारी लोनिवि प्रांतीय खंड को पक्षकार बनाते हुए एमओयू की मूल पत्रावली के साथ आगामी सुनवाई में उपस्थित होने के निर्देश दिए.