देहरादून में चार दिनों से भाजपा नेताओं का प्रमुख केंद्र बन गया है डिफेंस कॉलोनी स्थित कोश्यारी का आवास
देहरादून। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और हाल ही में महाराष्ट्र के राजभवन से लौटे भगत सिंह कोश्यारी की राज्य वापसी को सप्ताह भर होने का है लेकिन पूरे राज्य की निगाह उनके अगले कदम पर टिकी है। वहीं, तमाम चर्चाओं के बीच भगत’दा’ भी इन चर्चाओं का मंद मंद मुस्कुरा कर आनंद ले रहे हैं। महाराष्ट्र राजभवन से विदा होकर बाकी जीवन अध्ययन में लगाने की बात कहने वाले भगत दा अब कह रहे हैं कि वह गांव जाकर साधारण जीवन जीना चाहते हैं। लेकिन, सप्ताह भर होने को है उनका देहरादून स्थित आवास राज्य के तमाम छोटे बड़े भाजपा नेताओं के लिए शक्ति का केंद्र बनकर उभरने लगा है।
महाराष्ट्र राज्यपाल पद से हटने के बाद राज्य लौटे भगत सिंह कोश्यारी को देहरादून में आए सप्ताह भर काम समय बीतने को है। पिछले सप्ताह भर से शायद ही राज्य कोई मंत्री हो या फिर पार्टी नेता, सबने डिफेंस कॉलोनी स्थित कोश्यारी के किराए के आवास पर जाकर उनसे मुलाकात जरूर की है। उनके वापस लौटने के साथ ही इस चर्चा ने जोर पकड़ना शुरू कर दिया था कि राज्य वापसी के बाद वह फिर से सत्ता का केंद्र बनेंगे। असल में राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पिछली सरकार में मुख्यमंत्री बनाने और फिर उनकी खटीमा से हार के बावजूद धामी की ताजपोशी फिर से मुख्यमंत्री पद पर करवाने के लिए भाजपा के नेता भगत सिंह कोश्यारी को श्रेय देते हैं। साथ ही मंत्रीमंडल से लेकर दायित्व बंटवारे तक उनका असर दिखता रहा है। ऐसे में कोश्यारी के राजभवन छोड़ राज्य लौटने के फैसले से कयास लगाए जाने लगे थे कि वह फिर राज्य में सत्ता की शक्ति का केंद्र बनकर उभरेंगे लेकिन उन्होंने यह कहकर इन चर्चाओं पर लगाम लगा दी कि वह अब बाकी जिंदगी अध्ययन चिंतन में बिताना चाहते हैं। लेकिन, राज्य की राजनीति में कोश्यारी को कभी भी शांत बैठने वाला नेता नहीं माना गया है, वरना उम्र के आठवें दशक में चलते रहे कोश्यारी राज्य की राजनीति में कितने प्रासंगिक बने हुए है इस बात का अंदाजा तब भी लगाया जा सकता था जब वह महाराष्ट्र राजभवन में राज्यपाल के तौर पर काम कर रहे थे और राज्य के नेता अपनी राजनीतिक ईच्छाओं की पूर्ति के लिए मुंबई तक का चक्कर लगा आते थे। अब जब वह देहरादून लौट आए हैं तो उनकी प्रासंगिकता ज्यादा बढ़ती दिख रही है। रोज तड़के से देर रात तक उनका आवास भाजपा के तमाम छोटे बड़े नेताओं से भरा रहता है। उन्हें शुभकामनाएं देने के बहाने भाजपा कार्यकर्ता पद, सम्मान पाने के लालच में कोश्यारी की परिक्रमा कर रहे हैं
वहीं, कोश्यारी फिलहाल अपने आगामी योजनाओं पर एक किस्म की चुप्पी साधे है। मीडिया से बातचीत करने भी बच रहे कोश्यारी ने यह जरूर कहा है कि वह अब अपने गांव लौटकर सामान्य सा जीवन जीना चाहते हैं लेकिन कार्यकर्ता उन्हें छोड़ नहीं रहे हैं। भगत सिंह कोश्यारी का गांव बागेश्वर जनपद का नामटीचेटाबगड़ है जहां उनका जन्म 17 जून 1942 को हुआ था।
पहले रिटायरमेंट के बाद अध्ययन और चिंतन करने और अब गांव लौटने की बात कहने वाले भगत सिंह कोश्यारी के इरादें क्या है यह सबसे बड़ा सवाल इन दिनों राज्य में लोगों के जेहन में उठ रहा है।