एमडीडीए में अराजकता जैसी स्थिति: योगेश भट्ट
समय पर सूचना उपलब्ध न कराए जाने पर राज्य सूचना आयोग ने एमडीडीए के आठ लोक सूचना अधिकारियों पर कुल 50 हजार रुपये का जुर्माना लगा दिया है। टिहरीनगर निवासी दिनेश जोशी ने एमडीडीए से स्वीकृत और बिना स्वीकृत मानचित्र वाले भवनों के बारे में सूचना मांगी थी। मगर, डेढ़ वर्ष तक सूचना ही नहीं दी गई। यह मामला आयोग पहुंचने पर एमडीडीए ने सूचना तो मुहैया करा दी, लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया कि इस प्रकरण में लोक सूचना अधिकारी कौन थे? इस पर राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने एमडीडीए को नोटिस जारी कर अनुरोध पत्र की प्राप्ति से सूचना देने की तिथि तक रहे लोक सूचना अधिकारियों की सूची तलब की। लेकिन इस पर भी एक भी लोक सूचना अधिकारी सूचना में देरी का कारण स्पष्ट नहीं कर पाया।
इस पर आयोग ने एमडीडीए के लोक सूचना अधिकारी प्रमोद जोशी पर दस हजार रुपये के जुर्माने के साथ ही अन्य लोक सूचना अधिकारियों सुधीर गुप्ता, दिग्विजय नाथ तिवारी, अजय मलिक, पीएन बहुगुणा और शशांक सक्सेना पर तीन-तीन हजार का जुर्माना लगाया है। दूसरे मामले में अपीलकर्ता ने सिद्धार्थ बिल्डवैल के कम्प्लीशन सर्टिफिकेट की जानकारी मांगी थी। मगर डेढ़ वर्ष तक सूचना नहीं दी गई। राज्य सूचना आयुक्त से नोटिस भेजे जाने पर प्राधिकरण यह नहीं बता पाया कि लोक सूचना अधिकारी कौन था? आयोग ने इस प्रकरण में भी प्रमोद जोशी पर पंद्रह हजार, सुनील कुमार गुप्ता और प्रशांत सेमवाल पर पांच पांच हजार रुपये का जुर्माना लगा दिया।
राज्य सूचना आयुक्त भट्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट लिखा है कि एमडीडीए आरटीआई को लेकर गंभीर ही नहीं है, प्राधिकरण में अनुरोध पत्रों के निस्तारण को लेकर अराजकता की स्थिति बनी हुई है। सूचना और अपील निस्तारण की जवाबदेह व्यवस्था तक यहां नहीं है। प्राधिकरण ने लोक सूचना अधिकारियों की फौज खड़ी कर, सूचना के अनुरोध पत्रों का फुटबॉल बना दिया है। खुद प्राधिकरण के अधिकारियों को ही यह नहीं मालूम है कि उनके यहां कितने लोक सूचना अधिकारी हैं।

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