सरकारी अस्पतालों से हटाए गए करीब 2200 कर्मचारियों की बहाली पर बड़ा पेच फंस गया। मेडिकल कालेजों और अस्पतालों के जिन रिक्त पदों पर इन्हें दोबारा रखने के आदेश जारी किए हैं, उसमें 40 हजार रुपए सिक्योरिटी मांगी जा रही है। इसलिए कर्मचारी दोबारा ज्वाइन नहीं कर रहे हैं।
कोरोनाकाल में राज्यभर में रखे गए करीब 2200 कर्मचारियों को 31 मार्च को हटा दिया गया था। तब उन्होंने दो महीने तक आंदोलन किया। अब स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के निर्देश पर मेडिकल कॉलेजों एवं अस्पतालों में रिक्त पदों पर रखने के आदेश दिए गए हैं।
मेडिकल कॉलेजों से आउटसोर्स एजेंसी को इन कर्मचारियों की सूची भेजी गई है। एजेंसी की ओर से इंटरव्यू के दौरान कर्मचारियों को वेतन-शर्तों के बारे में बताया जा रहा है। दून अस्पताल से इंटरव्यू में शामिल हुए कई कर्मचारियों ने बताया कि नर्सिंग स्टाफ को 13500, लैब तकनीशियन को 10 हजार, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी एवं वार्ड ब्वॉय को नौ हजार रुपये देने की बात कही जा रही है। लेकिन, उनसे 25 हजार से 40 हजार रुपये तक सिक्योरिटी राशि पदों के अनुसार जमा कराने को कहा जा रहा है। कर्मचारी इस नई प्रक्रिया से बेहद खफा हैं। उनका कहना है कि, सिक्योरिटी की शर्त के बजाय उन्हें नियमित नियुक्ति दी जाए। ऐसा नहीं करने पर वह आंदोलन करेंगे।