जांच समिति के verdict पर सवाल उठने शुरू! 2011 से पहले के कर्मचारी विनियमित तो बाद वालों पर कार्रवाई क्यों! 2011 से पहले की नियुक्तियों पर क्यों दिया जा रहा safe passage, उठ रहे सवाल

 

देहरादून। विधानसभा में 2011 के बाद हुई सभी तदर्थ नियुक्तियों को जांच समिति की रिपोर्ट के बाद रद्द कर दिया गया है। हालांकि, वर्ष 2011 से पहले हुई भर्तियों को नियमित बताते हुए विधानसभा अध्यक्ष ने इन मामलों में कानूनी राय लिए जाने की बात कही है।

 

वहीं, जानकारों ने इसे लेकर सवाल उठाने भी शुरू कर दिए हैं। दरअसल, जानकारों का कहना है कि एक ही स्थान पर नियुक्ति के दो पैमाने नहीं हो सकते। ये नैसर्गिक न्याय के भी विरूद्ध है। वहीं, इसे सीधे तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूरी के समय हुई भर्तियों को पाक-साफ दर्शाने की साजिश की ओर भी जानकर सवाल उठा रहे हैं। आपको बता दें विधानसभा अध्यक्ष ने 2011 से पहले के कर्मचारियों के विनियमित होने के चलते उन पर तत्काल एक्शन नहीं लिए जाने की बात कही है जो कि लोगों को हजम नहीं हो रही है।

 

कानूनी विशेषज्ञों का भी स्पष्ट कहना है कि एक कि प्रकर्ति के मामले में दो अलग-अलग बातें नहीं हो सकती। 2011 से पहले कर्मचारियों को जिस तरह विन्यमिटकरण होना बताया जा रहा है, उसी को आधार बनाकर ये सभी कर्मचारी कोर्ट चले जायेंगे और वहां से राहत ला सकते हैं। उनका मानना है कि 2001 से अभी तक सभी नियुक्तियों की एक ही आधार पर नियुक्ति होनी चाहिए थी।

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