मंत्रिमंडल ने उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक लाने का प्रस्ताव पारित कर दिया है। विधेयक पास होने के बाद जबरन धर्मांतरण संज्ञेय अपराध हो जाएगा। धर्मांतरण साबित होने पर दोषियों को अधिकतम 10 साल तक की सजा का प्रावधान होगा। मुख्यमंत्री पुष्कर धामी की अध्यक्षता में बुधवार को देहरादून में आयोजित कैबिनेट बैठक में 26 प्रस्ताव लाए गए, जिनमें से 25 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। सरकार ने मार्च, 2018 में त्रिवेंद्र रावत सरकार के पास करवाए धर्मांतरण ऐक्ट में संशोधन करते हुए इसे और कड़ा करने का फैसला ले लिया है। इसे अब यूपी से भी ज्यादा कड़ा किया जा रहा है। 29 नवंबर से शुरू होने जा रहे विधानसभा सत्र में विधेयक पेश किया जाएगा। सूत्रों ने बताया कि पहले ऐक्ट में आरोपियों को तत्काल जमानत का प्रावधान था, जिसे अब गैर जमानती (संज्ञेय अपराध) कर दिया जाएगा। एकल धर्मांतरण में अब दो से सात साल जबकि सामूहिक धर्मांतरण पर तीन से 10 साल की सजा होगी। यूपी में एकल धर्मांतरण पर पांच साल तक की सजा है। इसी तरह जुर्माना की राशि अब क्रमश 25 हजार और 50 हजार किया है। अदालत में ऐसे आरोपियों के दोषी पाए जाने पर अब पीड़ित को पांच लाख रुपये तक की क्षतिपूर्ति भी देनी होगी।