गौरैया संरक्षण में सरकार को भी आगे आना चाहिए : डॉ० बबीता

अगरोड़ा: गौरैया संरक्षण पर कार्यशाला का आयोजन शहीद श्रीमती हंसा धनाई राजकीय महाविद्यालय अगरोड़ा टिहरी गढ़वाल मे प्रभारी प्राचार्य डॉ० अजय कुमार की अध्यक्षता मे जंतु विज्ञान की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ० बबीता बंटवाण द्वारा गौरैया संरक्षण विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। प्रभारी प्राचार्य डॉ० अजय कुमार ने सभी छात्र-छात्राओ से अपील की कि हमे गोरैया संरक्षण के प्रति स्वयं एवं दूसरों को भी जागरूक करने की आवश्यकता है। संगोष्ठी की संयोजक डॉ० बबीता बंटवाण ने अपने प्रस्तुतीकरण के माध्यम से बताया कि पूरे विश्व मे गौरैया की 26 प्रजातियां तथा भारत मे 5 प्रजातियां पाई जाती है। पिछले 40 सालों मे गौरैया की तादाद मे पूरे विश्व मे 60 से लेकर 80% तक कमी आई है। गोरैया के संरक्षण पर चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि नेचर फॉरेवर सोसायटी के अध्यक्ष मोहम्मद दिलावर के अथक प्रयासो द्वारा वर्ष 2010 से प्रतिवर्ष 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस मनाया जाता है जिसका मकसद गौरैया के महत्व एवं संरक्षण के प्रति लोगो को जागरुक करना है। बढ़ती जनसंख्या, प्रदूषण, शहरीकरण, विकिरण, कृषि मे कमी आदि कारणो से गौरैया की संख्या मे लगातार कमी आ रही है। केंद्र तथा राज्य सरकारो को भी गौरैया संरक्षण मे अहम भूमिका निभाने की आवश्यकता है। कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉ० भरत गिरी गोसाई ने बताया कि गौरैया पर्यावरण संतुलन मे अहम रोल निभाती है। गौरैया को खुली सोच, विश्वास तथा धैर्य का प्रतीक माना जाता है। धार्मिक वास्तु मान्यताओं के अनुसार गौरैया का घोंसला घर के आस-पास बहुत ही शुभ माना जाता है। गौरैया हमे सिखाती है कि कैसे सुबह उठकर हर रोज संघर्ष करना पड़ता है। आज के इस कार्यशाला मे महाविद्यालय के डॉ० अजय कुमार सिंह, डॉ० डॉ० आराधना बंधानी, डॉ० अमित कुमार सिंह, डॉ० सीमा, डॉ० बिशन लाल, डॉ० प्रमोद सिंह, डॉ० नेपाल सिंह, डॉ० राकेश रतूड़ी, डॉ० अनुपम रावत, डॉ० छत्र सिंह कठायत एवं प्रतिभागी छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।

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