गैंडीखाता गांव की कविता देवी, कृष्णा रावत , हर्षिला नेगी, बचूली देवी के चेहरों पर खुशियां हैं। यह खुशियां उन्हें सरकार की योजना से मिल रही हैं। पहले उनकी दिनचर्या कुछ नकदी फसल सब्जियां, पशुपालन, कुछ दूध बेचकर सामान्य ढंग से होता थी। लेकिन अब उनके जीवन में सहकारिता परियोजना ने गेंदे फूलों की खेती जोड़ कर रंग भर दिए हैं। परियोजना ग्रामीणों को निशुल्क गेंदे के फूलों की पौध देकर इनसे सामुहिक खेती करवा रहे हैं। गेंदे के फूलों के उचित मूल्य में खरीदने की भी गारंटी सहकारिता विभाग के एमपैक्स की है। गेंदे के फूलों की पौध पहले उद्यान विभाग से दिलाई गई, अब पौध कोलकाता से मंगा कर ग्रामीणों को दी जा रही है। किसी ने एक – दो बीघा में गेंदा रोपा है किसी ने पांच में। सामुहिक खेती में छूटा कोई नहीं है। तभी तो इन चार महिलाओं जैसी खुशी यहां श्यामपुर गैंडीखाता के आस-पास के गांव में हर महिला, पुरूष के चेहरों पर देखी जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उत्तराखंड के किसानों की आमदनी दोगुनी करने का सपना यूकेसीडीपी द्वारा धरातल पर पूरा करने के लक्ष्य के साथ काम कर रहा है।
उत्तराखंड सहकारिता विभाग की राज्य समेकित सहकारी विकास परियोजना फूलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए व फूलों से किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए हरिद्वार जनपद के बहादराबाद ब्लॉक के लालढांग न्याय पंचायत के श्यामपुर ग्राम को चुना है। क्योंकि राज्य की सबसे बड़ी फूल मंडी कनखल और ज्वालापुर यहां से 5-6 किलोमीटर दूरी पर स्तिथ है यह क्षेत्र हरिद्वार के चंडीपुल से कोटद्वार के रास्ते में 5 किलोमीटर आगे दूरी पर पड़ता है।
लालढांग एमपैक्स कलस्टर में गेंदा फूलों की समुहिक खेती की शुरुआत मार्च 22 में की गईं थी। प्रथम चरण में अप्रैल 2022 में उद्यान विभाग द्वारा तकनीकी सहायता और गेंदे के दो लाख पौधे ग्रामीणों को निशुल्क एमआईडीएस योजना के तहत उपलब्ध कराए गए। गेंदे की कलकत्ता वैराइटी – अफ्रीकन मेरी गोल्ड एवं जाफरी मेरी गोल्ड प्रजाति का गेंदा बेहतरीन माना जाता है इसकी लालढांग में खेती हो रही है।
सहकारिता मंत्री डॉ धन सिंह रावत कहते हैं कि गेंदे के फूल की हरिद्वार मंडी में बहुत डिमांड है। यहाँ का गेंदा का निर्यात नई दिल्ली, मुंबई , चंडीगढ़ सहित अन्य महानगरों में होता है। अब कांवड़ यात्रा शुरू हो गई है । हरिद्वार में ही फूलों की कमी पड़ रही है। लालढांग क्षेत्र को इसलिए चुना गया कि फूलों की मंडी नज़दीक होने के कारण किसानों को फायदा मिल सकें। डॉ रावत मानते हैं गेंदे के फूल से किसानों की आमदनी दोगुनी हो रही है। हम प्रदेश में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के सपने साकार करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
हरेला पर्व के दिन खुद सहकारिता विभाग के सचिव डॉ वीबीआरसी पुरुषोत्तम ने अपनी टीम के साथ गेंदे के पौधे लालढांग में रोपे। डॉ पुरुषोत्तम ने बताया कि गेंदे की फूलों की खेती अभी 20 एकड़ में हो रही है। इसे बढ़ाकर व्याजमुक्त ऋण योजना पंडित दीनदयाल उपाध्याय सहकारिता किसान भविष्य में अतिरिक्त 100 एकड़ में फसल का विस्तार किया जाएगा। सचिव ने कहा कि हरिद्वार में गेंदे की फूलों की खेती की असीम संभावनाएं हैं। सहकारिता परियोजना इस पर काम कर रही है। हर सप्ताह में गेंदे की समीक्षा मीटिंग की जा रही है।
निबन्धक सहकारिता व परियोजना में डिप्टी सीडीपी श्री आलोक कुमार पांडेय बताते हैं कि ग्रामीणों के लिए गेंदे की फूलों की खेती महत्वकांक्षी योजना है। यह ऐसी फसल है जो साल में दो तीन – बार हो सकती है। और तुरंत मूल्य देने वाली फसल है। इस फसल से किसान ज्यादा लाभ कमा सकेंगे। कॉपरेटिव सेक्टर इस पर काम करके किसानों को परिणाम दिलाने लगा है। किसानों का जीवन खुशहाल हो रहा है।
परियोजना में नोडल अधिकारी व अपर निबन्धक श्री आनंद शुक्ल कहते हैं कि, गेंदा फूलों की कोलकाता प्रजाति के उत्पादन हेतु प्रति एकड़ वार्षिक निवेश रु. 46.150.00 आँका गया है। जबकि फूलों का प्रतिवार्षिक उत्पादन 1500 किलो होने की संभावना है।गेंदा फूलों के विपणन से प्रति बीघा वार्षिक आय रू. 90,000 होने की आशा है। गेंदा फूलों के विपणन से प्रति बीघा वार्षिक शुद्ध लाभ रू. 43,850.00 होने की संभावना है।
परियोजना लालढांग के किसानों के लिए कोलकत्ता से गेंदे के पौध मंगा रहा है। अब तक 50 हज़ार पौध आ चुकी है। किसानों को पौध निशुल्क दी जा रही है। मार्च में जो गेंदे का पौधारोपा किया गया था उसके अच्छे परिणाम किसानों को मिले हैं। उनके गेंदे के फूल हाथोंहाथ विक्रय हुए हैं।
गेंदे फूलों के किसानी कर रहे कांगडी गांव के किसान श्री राम प्रकाश शर्मा बताते हैं कि वह पहले भी फूलों की करते थे लेकिन अब सरकार द्वारा उन्हें निशुल्क गेंदे के पौधे देकर अब वह 9 एकड़ में गेंदे की खेती कर रहे हैं। उनके फूल एमपैक्स के जरिए उचित मूल्य पर बिक रहे हैं। हमारे लिए यह योजना खुशियाँ लेकर आई है।
श्यामपुर गांव के किसान श्री जी राम एक एकड़ में गेंदे की खेती कर रहे हैं। वह कहते हैं कि सहकारिता विभाग के सिस्टम से वह खुश हैं उन्हें गेंदे पौध निशुल्क मिले। आमदनी दोगुनी होने की उम्मीद है।
बहादराबाद ब्लॉक के एडीसीओ श्री अमित कुमार बताते हैं कि गेंदे की खेती में कोई बीमारी न लगे विशेषज्ञों को समय समय पर बुलाकर इन पौधों का परीक्षण कराया जाता है। वैज्ञानिक ढंग से फूलों की फसल की सिंचाई की जाती है। फूल तोड़ने तक विभाग सहयोग करता है।
परियोजना में उप निदेशक मोनिका चुनेरा ने मार्च माह में लालढांग में गेंदे की फूलों की खेती के लिए ग्रामीणों को प्रेरित किया। चार पांच दौरे में वह ग्रामीणों को समझाने में कामयाब रही कि, किस तरह सरकारी योजना का लाभ लिया जा सकता है। चुनेरा बताती हैं कि कलेक्शन सेंटर श्यामपुर में खोला गया है। औसतन गेंदा 80 रुपये किलो बिक रहा है।जो कोलकाता वेरायटीज का पौधा इन दिनों रोपा जा है वह दीपावली के आसपास गेंदा का फूल देगा, उसकी कीमत 120 रुपये किलो हो जायेगी। वह कहती हैं।कोलकाता गेंदे की डिमांड ज्यादा रहती है। उन्होंने कहा कि गेंदे की खेती से किसान भी फायदे में रहेंगे और एमपैक्स भी।
फूल बहुत ही शुभ और पवित्र होते हैं. ज्योतिष के जानकारों की मानें तो सुंदरता और सुगंध से भरपूर फूलों के इस्तेमाल से आपकी हर मनोकामना पूरी हो सकती है. जिस घर में फूल होते हैं, नकारात्मक ऊर्जा वहां के इर्द-गिर्द भी नहीं भटक पाती है.
फूलों के इस्तेमाल से आप अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ा सकते हैं. इसीलिए घर के आस-पास फुलवारी की परंपरा सदियों से चली आ रही है. धार्मिक मान्यताओं में फूलों का प्रयोग पूजा और उपासना के लिए किया जाता है. मान्यता है कि इससे ईश्वर की कृपा बहुत जल्दी बरसती है. उपासना में फूलों का महत्व फूल इंसान की श्रद्धा और भावना का प्रतीक हैं. इसके साथ ही फूल इंसान की मानसिक स्थितियों के बारे में भी बताते हैं.।फूलों के अलग-अलग रंग और सुगंध अलग तरह के प्रभाव पैदा करते हैं. पूजा में वास्तविक फूल भी अर्पित कर सकते हैं और मानसिक भी. पूजन और जीवन में हर फूल का अपना अलग महत्व है. जानते हैं किस फूल के साथ कैसे भाव के छिपे हैं :
गेंदे के फूल का महत्व और प्रयोग विधि फूलों में सबसे ज्यादा गेंदे के फूल का इस्तेमाल होता है. यह कई प्रकार का होता है, लेकिन पीले गेंदे का फूल सबसे ज्यादा उपयोगी और महत्वपूर्ण होता है. गेंदा वास्तव में एक फूल नहीं बल्कि छोटे-छोटे फूलों का एक गुच्छा है. गेंदे के फूल का सम्बन्ध बृहस्पति से होता है. गेंदे के फूल के प्रयोग से ज्ञान और विद्या की प्राप्ति होती है. – गेंदे के फूल के प्रयोग से आकर्षण क्षमता बढ़ जाती है. मान्यता है कि, भगवान विष्णु को नियमित रूप से पीले गेंदे के फूल की माला चढ़ाने से समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
गेंदा पुष्प औषधीय में प्रयोग में लाया जाता है। त्वचा और बालों की खूबसूरती बढ़ाने के साथ यह फूल स्वास्थ्य के लिए भी बेहद लाभकारी होता है। गेंदा फूल बहुत ही आसानी से बढ़ते हैं, मज़बूती से फूलते हैं और कीटों को दूर रखते हैं। सिर दर्द, सूजन, दांत दर्द, घाव और कई त्वचा की समस्याओं जैसे औषधीय प्रयोजनों के लिए भी गेंदे के फूल का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा, उन्हें खाना पकाने में भी इस्तेमाल किया जाता है। मैरीगोल्ड का उपयोग जलन, घाव और चकत्ते जैसी त्वचा की समस्याओं का इलाज करने के लिए किया गया है। जब त्वचा पर लगाया जाता है, तो यह सूजन, लालिमा, संवेदनशीलता, सूखापन और सूजन को कम करता है। इसकी पंखुड़ियों का लेप प्रभावित स्थान पर करने से घाव और जलन की समस्या से छुटकारा मिलता है। गेंदे के फूलों से बने मरहम का उपयोग घावों, सूखी त्वचा और फफोले के अलावा, सनबर्न और मुँहासे ठीक करने के लिए किया जा सकता है।
Table I shows the baseline characteristics of the 47 women with anovulatory PCOS included in this study and no significant differences were found between treatment groups medicamento priligy estudios clinicos